Chandra Grahan 2023: सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण खगोलीय घटनाएं हैं. समय-समय पर यह घटनाएं होती रहती है लेकिन हिंदू धर्म में इस खगोलीय घटना का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण को शुभ और अशुभ मान्यताओं के साथ जोड़कर देखा जाता है. ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण अशुभ क्रिया मानी जाती है. मान्यताओं के अनुसार Chandra Grahan 2023 किसी भी व्यक्ति के जीवन पर दुष्प्रभाव डालता है और उसके जीवन में आने वाली परेशानियों का कारण बनता है |
इस दिन लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण
जैसा कि आप सभी जानते हैं अभी बीते 20 April को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था. सूर्य ग्रहण के बाद अब चंद्र ग्रहण लगने वाला है. आपको बता दें कि इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023, Friday को लगने जा रहा है. इस बार का चंद्रग्रहण उपछाया ग्रहण होने वाला है. ऐसा कहा जाता है कि जब चांद पर पृथ्वी की परछाई न पड़कर उसकी उपछाया पड़ती है, तो उसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते है. आप ये लेख HaryanaKaushalRojgarNigam.Com पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं |
इस बार का चंद्र ग्रहण होगा उपछाया Chandra Grahan 2023
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में Entry करता है. इस प्रक्रिया को मालिन्य कहते है. जिसके बाद चंद्रमा पृथ्वी की मूल छाया में प्रवेश करता है और तभी ग्रहण लगता है. इसी वजह से चांद की सिर्फ धुंधली परछाई दिखती है और काली नहीं. इस धुंधलेपन को सामान्यत नहीं देख सकते इसलिए इस ग्रहण को उपछाया चंद्र ग्रहण कहां जाता है. इस बार का चंद्रग्रहण 5 मई क़ो रात 08:45 से शुरू होकर 06 मई को रात 01:00 बजे खत्म होगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा |
भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण
यानी कि भारत में ग्रहण दिखाई ना देने के कारण इसका सूतक काल नहीं माना जाएगा. माना जाता है कि चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले से ही सूतक काल शुरू हो जाता है. वैज्ञानिकों की दृष्टि के अनुसार तो यह है केवल ग्रहों के बीच होने वाला एक परिवर्तन है इसमें सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है जिससे चंद्रमा के जितने हिस्सों पर पृथ्वी की छाया पड़ती है वहां तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता और अंधेरा छा जाता है. इसी क्रिया को चंद्रग्रहण कहा जाता है |
सूतक काल में न करें कोई शुभ कार्य
ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण के कारण राशियाँ भी प्रभावित होती हैं. हालांकि, किसी के लिए यह परिवर्तन है सुखदायी होता है तो किसी के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. जितनी अवधि तक ग्रहण लगता है उसे सूतक काल कहा जाता है. सूतक काल ग्रहण लगने के साथ ही शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |